भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां अधिकांश जनसंख्या की आजीविका खेती पर निर्भर है। वर्तमान समय में खेती के दो प्रमुख तरीके प्रचलित हैं – एक है प्राकृतिक खेती, और दूसरा है रासायनिक खेती। इन दोनों विधियों के बीच अक्सर तुलना की जाती है कि किससे बेहतर उत्पादन, मिट्टी की उर्वरता और किसानों को लाभ मिलता है। इस ब्लॉग में हम इन दोनों पद्धतियों का तुलनात्मक विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि कौन-सी खेती दीर्घकालिक रूप से फायदेमंद है।
प्राकृतिक खेती क्या है?
प्राकृतिक खेती वह प्रणाली है जिसमें बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशक के खेती की जाती है। इस पद्धति में गाय के गोबर, गोमूत्र, नीम की खली, जीवामृत, बीजामृत जैसे जैविक साधनों का प्रयोग होता है। यह खेती न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखती है बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती है।
रासायनिक खेती क्या है?
रासायनिक खेती में सिंथेटिक खाद, कीटनाशक, फफूंदनाशक और अन्य रसायनों का प्रयोग कर फसल का उत्पादन बढ़ाया जाता है। यह पद्धति हरित क्रांति के बाद भारत में लोकप्रिय हुई, जिससे देश में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई, लेकिन इसके दीर्घकालिक दुष्परिणाम भी सामने आए।
प्राकृतिक बनाम रासायनिक खेती – तुलना
नीचे दोनों पद्धतियों के बीच कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर तुलना की गई है:
किसानों की राय
राजस्थान के किसान रामलाल जी कहते हैं, 'जब से मैंने प्राकृतिक खेती अपनाई है, मेरी जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ी है और खर्च घटा है।'
प्रश्नोत्तर (Q&A)
निष्कर्ष
जहां एक ओर रासायनिक खेती ने भारत की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया है, वहीं अब समय आ गया है कि हम प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें जो टिकाऊ, सुरक्षित और पर्यावरण के लिए लाभकारी है। किसानों को चाहिए कि वे प्राकृतिक खेती की विधियों को समझें और धीरे-धीरे इसे अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं। इससे न केवल उनकी लागत घटेगी, बल्कि उपज की गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी।