मोरिंगा (सहजन) की खेती पर विस्तृत जानकारी
मोरिंगा (सहजन) क्या है?
मोरिंगा, जिसे हिंदी में सहजन भी कहा जाता है, एक पौष्टिक और बहुपयोगी पौधा है। इसके फल, पत्ते, बीज और फूल सभी उपयोगी होते हैं। मोरिंगा में विटामिन C, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके औषधीय गुणों के कारण मोरिंगा की मांग भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है। यही कारण है कि आज किसान इसके व्यावसायिक उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं।
मोरिंगा (सहजन) की खेती पर विस्तृत जानकारी
मोरिंगा (सहजन) क्या है?
मोरिंगा, जिसे हिंदी में सहजन भी कहा जाता है, एक पौष्टिक और बहुपयोगी पौधा है। इसके फल, पत्ते, बीज और फूल सभी उपयोगी होते हैं। मोरिंगा में विटामिन C, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके औषधीय गुणों के कारण मोरिंगा की मांग भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है। यही कारण है कि आज किसान इसके व्यावसायिक उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं।
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मोरिंगा (सहजन) की खेती |
मोरिंगा की खेती की शुरुआत कैसे करें?
1. सही जलवायु और मौसम
मोरिंगा गर्म जलवायु का पौधा है और 25°C से 35°C तापमान इसके लिए आदर्श है। हल्की बारिश और अच्छी धूप इसे तेजी से बढ़ने में मदद करती है। ज्यादा ठंड या पाले से इस पौधे को नुकसान हो सकता है, इसलिए बुवाई वसंत या बरसात के मौसम में करनी चाहिए।
2. भूमि का चुनाव
बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो, मोरिंगा के लिए सबसे उपयुक्त है। pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। बहुत ज्यादा पानी रोकने वाली या भारी चिकनी मिट्टी से बचना चाहिए।
3. बुवाई की प्रक्रिया
बीज या कटिंग दोनों से मोरिंगा की खेती की जा सकती है। बीज को सीधा खेत में बोया जा सकता है या पहले नर्सरी में तैयार करके पौधे लगाए जा सकते हैं। पौधों के बीच 10-12 फीट की दूरी रखें ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके। 1 एकड़ खेत में लगभग 800 से 1000 पौधे लगाए जा सकते हैं।
4. खाद और उर्वरक
खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की खाद डालें। साथ ही नीम की खली, वर्मी कम्पोस्ट या जैविक उर्वरकों का उपयोग करें। रासायनिक खादों का सीमित प्रयोग करें ताकि उत्पाद जैविक रहे और बाजार में अच्छी कीमत मिले।
5. सिंचाई व्यवस्था
शुरुआती दिनों में हर 7-10 दिन पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बड़े पौधे बनने पर जरूरत के अनुसार ही पानी दें। जलभराव से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए सिंचाई का ध्यान रखें।
फसल की देखभाल
खेत में निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवार न बढ़ें। फूल और फल आने के समय जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। थ्रिप्स, एफिड्स और सफेद मक्खी जैसे कीटों से बचाव करना जरूरी है।
फसल कटाई और उत्पादन
बुवाई के 6 से 8 महीनों के भीतर फलियों की पहली फसल तैयार हो जाती है। फसल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए समय-समय पर तुड़ाई करें। एक पौधे से सालाना 250 से 400 फलियाँ मिल सकती हैं।
लागत और आमदनी (1 एकड़ के हिसाब से)
अनुमानित खर्च:
बीज या पौधे:
₹5,000
खेत की तैयारी:
₹6,000
खाद और उर्वरक:
₹8,000
सिंचाई व्यवस्था: ₹5,000
श्रम खर्च: ₹10,000
अन्य खर्च (कीटनाशक, मरम्मत आदि): ₹6,000
कुल अनुमानित खर्च: ₹40,000
अनुमानित आमदनी:
1 एकड़ से औसतन 4-5 टन फलियाँ प्राप्त होती हैं। बाजार में सहजन की कीमत 20 से 50 प्रति किलो तक मिलती है। यदि 30 प्रति किलो के औसत से बेचा जाए, तो:
→ 4000 किलो × 30 = 1,20,000
खर्च घटाकर मुनाफा:
1,20,000 - 40,000 = 80,000
(अगर मार्केट अच्छा मिला तो मुनाफा 1,00,000 तक भी जा सकता है।)
मोरिंगा में अतिरिक्त कमाई के अवसर
मोरिंगा पाउडर बनाकर बेचने पर अतिरिक्त लाभ। बीज और पौधे बेचकर भी आमदनी। जैविक फार्मिंग प्रमाण पत्र लेकर एक्सपोर्ट भी किया जा सकता है।
मोरिंगा की खेती के फायदे
कम लागत में ज्यादा मुनाफा। पौधे सालों तक फल देते हैं। पर्यावरण के लिए फायदेमंद — मोरिंगा मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। सेहत के लिए भी वरदान — बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है।
मोरिंगा (सहजन) की खेती पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
अगर आपके मन में मोरिंगा (सहजन) की खेती को लेकर सवाल हैं, तो नीचे उनके आसान और उपयोगी जवाब दिए गए हैं। इससे आपकी शंकाएँ दूर होंगी और खेती की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
अगर आपके मन में मोरिंगा (सहजन) की खेती को लेकर सवाल हैं, तो नीचे उनके आसान और उपयोगी जवाब दिए गए हैं। इससे आपकी शंकाएँ दूर होंगी और खेती की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
1. मोरिंगा की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम कौन सा है?
मोरिंगा की खेती वसंत (मार्च-अप्रैल) या बरसात (जून-जुलाई) के मौसम में करना सबसे अच्छा रहता है। इस दौरान तापमान और नमी दोनों अनुकूल होते हैं, जिससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं।
2. क्या मोरिंगा की खेती छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है?
जी हां, मोरिंगा कम लागत और कम देखभाल में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है। छोटे किसान भी एक या दो एकड़ में इसकी खेती कर अच्छा फायदा कमा सकते हैं।
3. मोरिंगा के पौधे को तैयार होने में कितना समय लगता है?
बीज बोने के बाद लगभग 6 से 8 महीनों में मोरिंगा की पहली फलियाँ तोड़ने लायक तैयार हो जाती हैं।
4. क्या मोरिंगा की खेती जैविक तरीके से भी की जा सकती है?
बिलकुल! जैविक खेती से मोरिंगा का मूल्य और भी बढ़ जाता है। आप गोबर की खाद, नीम खली और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करके ऑर्गेनिक फसल तैयार कर सकते हैं।
5. एक एकड़ में कितने मोरिंगा के पौधे लगाए जा सकते हैं?
एक एकड़ जमीन में लगभग 800 से 1000 मोरिंगा के पौधे लगाए जा सकते हैं, यदि सही दूरी (10-12 फीट) का ध्यान रखा जाए।
6. सहजन की फलियों की मार्केट में क्या डिमांड है?
भारत के साथ-साथ विदेशों में भी सहजन की फलियों, पत्तों और बीजों की अच्छी मांग है। हेल्थ प्रोडक्ट्स और आयुर्वेदिक दवाओं में इसका खूब इस्तेमाल होता है।
7. क्या मोरिंगा के अलावा इसके पत्तों और बीजों से भी आमदनी होती है?
जी हां, मोरिंगा के पत्ते सुखाकर पाउडर बनाकर बेचा जा सकता है और बीज भी अच्छे दामों पर बिकते हैं। इससे अतिरिक्त आमदनी होती है।
8. मोरिंगा की खेती में कौन-कौन से कीटों से बचाव करना जरूरी है?
मुख्यत: थ्रिप्स, एफिड्स और सफेद मक्खी जैसे कीट मोरिंगा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनके लिए जैविक कीटनाशकों का समय-समय पर छिड़काव करना चाहिए।
निष्कर्ष
मोरिंगा की खेती एक भविष्य की फसल है, जो किसान भाइयों को कम समय में अच्छा मुनाफा देने में सक्षम है। सही तकनीक, मेहनत और बाजार की समझ से आप मोरिंगा की खेती से शानदार आय अर्जित कर सकते हैं। अगर आप भी खेती में कोई नया और सफल प्रयोग करना चाहते हैं, तो मोरिंगा खेती आपके लिए शानदार विकल्प हो सकता है।